Thursday, 18 January 2024

रूस -उत्तर कोरिया के गहराते रिश्ते : मायने क्या हैं ?


(Photo Source: Herald) 

उत्तर कोरिया और रूस के बीच आर्थिक और सैन्य सहयोग  गहन होता जा रहा है। 

रूसी राष्ट्रपति पुतिन द्वारा  उत्तर कोरियाई विदेश मंत्री छवे सन-ही का गर्मजोशी भरा स्वागत रूस की ओर से दक्षिण कोरिया को चेतावनी के रूप में भी देखा जा है ।  

 रूस-ुयूक्रेन युद्ध में दक्षिण कोरिय यूक्रेन का समर्थन जरूर करता है लेकिन उसका निर्णय घातक हथियार भेजने का नहीं  रहा है। 

कोरिया के कई लोग मानते है कि  कोरिया गणराज्य-अमेरिका गठबंधन और रूस दोनों से  संतुलित कूटनीति का संचालन कर चाहिए क्योंकि आर्थिक दृष्टिकोण में अगर रूस का मार्किट चीन के पक्ष में गया तो वह हितकारी नहीं ।   इसलिए कोरिया को अमेरिका के साथ वार्ता कर अपने हितों का ध्यान रखना चाहिए और सुरक्षा की दृष्टि से भी उत्तर कोरिया के साथ बातचीत का रास्ता खुला रखना  चाहिए । 

इसका अर्थ यह कतई नहीं कि किसी भी प्रकार के परमाणु हमले  को बर्दाश्त किया जाए । 

रूस हालांकि उत्तर-दक्षिण में युद्ध होने कि सम्भवना या एकपक्षीय नीति से इंकार करता रहा है  और इस इरादे को सत्यापित करने के लिए उत्तर और दक्षिण  दोनों कोरिया से कूटनीतिक सम्बन्ध को परस्पर बनाये रखा है ।   लेकिन यूक्रेन युद्ध के वजह से ध्रुवीकरण फिर से गहराता जा रहा । 

गौरतलब है कि हाल के दिनों में उत्तर कोरिया द्वारा दक्षिण कोरिया के मुख्य शत्रु शासन को अपने संविधान में शामिल करने के अपने इरादे की घोषणा के साथ, रूस और अन्य शिविरों के साथ सहयोग को और मजबूत कर रहा । 

आज उत्तर कोरिया ने अपने विदेश मंत्री की रूस यात्रा की खबर जैसे ही साझा कि दक्षिण कोरिया के राजनीतिक और मीडिया महकमे को ब्रेकिंग न्यूज़ और त्वरित मुद्दा मिल गया । 

रूसी राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा घोषणा की, कि वे कोरियाई प्रायद्वीप और पूर्वोत्तर एशिया सहित अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर संयुक्त कार्रवाई को बढ़ावा देने पर आम सहमति पर पहुंच गए हैं। और संवेदनशील क्षेत्रों सहित सभी क्षेत्रों में अपने संबंधों को और मजबूत करेंगे, यह व्यक्तव्य ' दक्षिण कोरियाई जनमानस में सरपट दौर रहा। 



राष्ट्रपति पुतीन ने  ''विकास'' की नीति की घोषणा में रूस द्वारा उल्लिखित 'संवेदनशील क्षेत्रों' की कोई विशेष व्याख्या नहीं थी, लेकिन दक्षिण कोरिया में ऐसा माना  जा रहा है कि  हथियारों के व्यापार जैसे सैन्य सहयोग भी  शामिल हो सकते हैं। 

गहन होता रूस-उत्तर कोरिया सहयोग पूर्वी एशिया में भूराजनीतिक परिदृश्य को बदल सकता है क्योंकि यदि रूस उत्तर कोरिया के लिए अधिक महत्वपूर्ण सहयोगी बनता  है  तो यह क्षेत्र में शक्ति संतुलन को प्रभावित करेगा और मौजूदा गठबंधनों को प्रभावित करेगा।

साथ ही साथ दोनों देशों के बीच संबंधों के गहराने से दक्षिण कोरिया और जापान के बीच सुरक्षा चिंताएँ बढ़ाता जायेगा । चीन परंपरागत रूप से उत्तर कोरिया का एक महत्वपूर्ण सहयोगी मानता है और रूस के बढ़ते प्रभाव से चीन की रणनीतिक गणना पर असर पड़ेगा I  संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देशों सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय संभवतः विकसित हो रहे रूस-उत्तर कोरिया संबंधों पर पैनी नज़र रख रहा।  यह विकास उत्तर कोरिया से संबंधित मुद्दों, जैसे परमाणु निरस्त्रीकरण, मानवाधिकार और क्षेत्रीय स्थिरता के समाधान के वैश्विक प्रयासों को प्रभावित करेगा लेकिन निकट भविष्य में बहुध्रुवीय कूटनीति, वैश्विक दक्षिण की आकांक्षा, रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व के मुद्दे पहले की तरह केंद्र में नहीं होंगे। 

मैंने कल अपने कांगवों नेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रिय सेमिनार में सुरक्षा दुविधा  और पूर्व एशिया पर खासकर  गहरा प्रकाश डाला था और  कूटनीतिक तत्काल राजनयिक संलग्नता कि वकालत कि थी I पूर्वी एशियाई भू-राजनीति कुछ दशकों से निष्क्रिय रूप से सक्रिय थी, लेकिन रूस-उत्तर कोरिया का यह जुड़ाव भू-राजनीतिक कोणों और तनाव को फिर से सक्रिय कर सकता है।

डॉ संजय कुमार 

(जिला योंगसांन  दक्षिण कोरिया )


Saturday, 13 January 2024

उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच बढ़ते तनाव




      (उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग उन (बाएं से पहले) अपने सैन्य सलाहकारों के साथ सिगरेट पीते हुए)

सीओल(दक्षिण कोरिया) --  उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच तनाव फिर से तीव्र होता जा रहा क्योंकि उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया में अपने एजेंटों को कोडित संदेश भेजने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रेडियो स्टेशन का संचालन बंद कर दिया है। उत्तर कोरिया दबाव बढ़ा  दक्षिण कोरिया को  "प्रमुख दुश्मन" करार दे कह रहा पुनर्मिलन की संभावना अब नहीं है।  

उत्तर कोरिया ने अपनी परमाणु क्षमताओं को बढ़ा विशेष रूप से प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और उसके सहयोगियों पर हमला करने की क्षमता को लक्षित किया है। 

"निर्णायक नीति परिवर्तन" का आह्वान कर किम जोंग उन ने   दक्षिण में शांति और कब्जे सहित संभावित संकट परिदृश्यों के लिए फिर से तैयार रहने का निर्देश दे दक्षिण कोरिया के साथ नागरिक आदान-प्रदान के लिए जिम्मेदार संगठनों को भंग करने को कहा है। 

गौरतलब है कि दोनों  देश 1950-53 के कोरियाई युद्ध के युद्धविराम में समाप्त होने के बाद भी तकनीकी रूप से युद्ध में हैं। 

हालांकि दोनों देशों के बीच युद्ध के बाद के दशकों में तनाव के दौर, यदा-कदा सैन्य झड़पें और शत्रुता कम करने के कूटनीतिक प्रयास होते रहे हैं । सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अंतर-कोरियाई शिखर सम्मेलन और समझौते बीच-बीच में तीखी बयानबाजी और उकसावे की अवधि भी अनेको रहे हैं । दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए, उत्तर कोरिया की परमाणु हथियारों की खोज लगातार तनाव का स्रोत रहा है। 

उत्तर कोरिय  ने वर्ष 2006 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था जिसके कारण अंतर्राष्ट्रीय निंदा और प्रतिबंध भी लगे। लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों सहित उत्तर कोरिया के बार-बार मिसाइल परीक्षणों ने क्षेत्रीय और वैश्विक चिंताओं को बढ़ाता रहा है। इन कार्रवाइयों के कारण उत्तर कोरिया की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर अंकुश लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध और राजनयिक प्रयास भी बढ़ते  गए । 

हाल की कूटनीतिक भागीदारी, जैसे उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन और दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन के बीच ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन, साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ बैठकों ने संभावित सुलह की झलक पेश की थी । हालाँकि, समय-समय पर तनाव भड़कने के साथ प्रगति भी असमान रही है।

लेकिन आज उत्तर कोरिया द्वारा दक्षिण कोरिया को "प्रमुख दुश्मन" घोषित करना, कोडित संदेशों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रेडियो स्टेशन को बंद करना और परमाणु क्षमताओं को बढ़ाने की प्रतिज्ञा ने क्षेत्र की स्थिरता के बारे में चिंताओं को फिर से जन्म दिया है। उत्तर कोरिया-दक्षिण कोरिया तनाव का इतिहास ऐतिहासिक, राजनीतिक और वैचारिक कारकों की एक जटिल परस्पर क्रिया की विशेषता है। स्थिति गतिशील बनी हुई है I

डॉ संजय कुमार (दक्षिण कोरिया से )

Friday, 21 July 2023

Journalist Kim Jong-soo named recipient of ‘Global Clean Environment Awards 2023’

 

KBS Journalist and writer Kim Jong-soo shares views on protecting environment  protection at ‘Global Clean Environment Awards 2023’ ceremony at The Plaza Hotel in Jung-  gu, Seoul on Wednesday.

KBS Journalist recognized for in-depth coverage of Seoksan dispute and environment advocacy

Korean Broadcasting System (KBS) journalist and accomplished writer, Kim Jong-soo, has been bestowed with the prestigious ‘Global Clean Environment Awards 2023’ in recognition of his remarkable contributions to the media and entertainment industry while advocating for environmental preservation.

Kim’s insightful coverage of the "30 years of the Seoksan dispute" garnered significant attention.

The Seoksan dispute, a matter of environmental concern that spans three decades, has been brought to the forefront through Kim's in-depth analysis, highlighting its profound implications for the planet.

An esteemed panel of media experts extensively evaluated Kim's dedication to monitoring and safeguarding the environment, leading to his selection as the first-ever recipient from the entertainment and media category.

The ‘Global Clean Environment Awards’ is an annual accolade presented by the International Clean Environment Movement (ICEMH) Headquarters, headquartered in Seoul.

The organization, established in 2019, operates as a non-profit environmental entity, ardently advocating for "Coexistence on humanity, environment, and businesses."

KBS Journalist and writer Kim Jon-soo receives ‘Global Clean Environment Awards 2023’ ceremony at The Plaza Hotel in Jung-gu, Seoul on Wednesday.

"I have more responsibilities now onwards to bestow this esteemed award,” said Kim.

He expressed his gratitude and reaffirmed his commitment to shedding light on critical environmental matters through his journalistic endeavors.

 "It is truly humbling to be recognized for something I am deeply passionate about. I believe that through responsible and insightful reporting, we can inspire positive change and foster a deeper understanding of the importance of environmental conservation," Kim remarked.

Kim's pioneering efforts in using his media influence for the greater good are a testament to the power of journalism in creating a positive impact on environmental issues.

As the world continues to grapple with environmental challenges, it is personalities like Kim who stand as beacons of hope, inspiring others to join the global movement for a cleaner and greener future.

The ceremony was held Plaza Hotel Seoul on Wednesday.


Saturday, 17 June 2023

तनावपूर्ण होते चीन - दक्षिण कोरिया के सम्बन्ध

 चीन के राजदूत सींग हाई-मिंग के बयान के बाद चीन और दक्षिण कोरिया के बीच का तनाव एक बार फिर से सुर्ख़ियों में है।

    तस्वीर मेरे द्वारा खींची गई चीन -कोरिया की 30वी वर्षगांठ पर आयोजित एक कार्य्रकम की है। 

डॉ संजय कुमार (दक्षिण कोरिया से)

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह  दक्षिण कोरिया में चीन के राजदूत सींग हाई मिंग ने दक्षिण कोरिया के सत्ताधारी दल की ओर इशारा करते हुए कहा था --

"कुछ लोग (सत्ताधरी दल के)  शर्त लगा रहे हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन की प्रतिद्वन्दता में अमेरिका ही जीत  जाएगा और चीन की हार होगी । जो लोग चीन की हार पर दांव लगा रहे हैं, वह निश्चित रूप से बाद में पछताएंगे।"

यह बयान  राष्ट्रपति ऑफिस, विदेश मंत्रालय , मीडिया और कोरिया के जनमानस में आग की तरह फैल सी गई । आग को बुझाने की बजाय घी डालने वाले लोगों की तादाद बढ़ने लगी । चीनी राजदूत को कोरिया के उप विदेश मंत्री ने तलब कर दिया, चीन का विदेश मंत्रालय भी त्वरित और पारस्परिक कदम उठाकर चीन में कार्यरत दक्षिण कोरिया के राजदूत को भी तलब कर दिया। दोनों देशों के कूटनीतिक गलियारों में चर्चाओं का माहौल और राजनयिक विवाद जैसे को तैसा में तब्दील हो गया ।

संबंधों की खटास हाल के वर्षों में नया नहीं लेकिन क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग की नई भूराजनीतिक जमीन तैयार कर सकती है इससे इंकार नहीं किया जा सकता । अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन जो अभी चीन के दौरे पर हैं उन्होंने चीन के साथ "स्वस्थ और परिपक्व" सहकारी संबंध विकसित करने के दक्षिण कोरिया के प्रयासों का समर्थन किया है। यह सलाह द्विपक्षीय तनाव को कम करने में मदद करेगा ऐसे आसार हैं ।

चीन और कोरिया की ऐतिहासिक विरासत और आधुनिक प्रतिद्वंद्वितासदियों के सांस्कृतिक आदान-प्रदान और साझा मूल्यों से बंधी रही  हैं। कोरियाई युद्ध और चीन-सोवियत विभाजन जैसे घटनाक्रमों ने  संबंधों को पहले भी  तनावपूर्ण बनाया था । लेकिन पूर्व एशिया में विकास की पटरी लगभग 3 दशकों में साथ चलने के बाद आर्थिक अन्योन्याश्रय: में चीन और कोरिया की आर्थिक साझेदारी और उनके संबंधों की आधारशिला रही  है । द्विपक्षीय व्यापार और निवेश लगातार  बेहतर होते चले गए ।  

लेकिन वर्तमान में दक्षिण कोरिया के परस्पर आर्थिक निर्भरता दोधारी तलवार सी हो चुकी है जिससे दक्षिण कोरिया चीन की आर्थिक नीतियों के संभावित नतीजों को लेकर संवेदनशील हो गया है। चीन में सक्रिय कोरियाई कंपनियों पर हाल के व्यापार विवाद और प्रतिबंध उनके आर्थिक संबंधों की नाजुकता को उजागर करते हैं। दोनों देशों को अपने हितों की रक्षा , दक्षिण चीन सागर में चीन की मुखरता और दक्षिण कोरिया में थाड(THAAD ) मिसाइल रक्षा प्रणाली की तैनाती जैसे मुद्दों से प्रभित रही और  पिछले कुछ वर्षों में ज्यादा गहरी होती जा रही ।अमेरिकी-चीनी प्रतिद्वन्दता के बीच आपसी आर्थिक विकास को बढ़ावा देना दक्षिण कोरिया के लिए  बड़ी चुनौती है।

कोरिया के युवा वर्गों में चीन के प्रति नकारात्मक धारणाएं खासकर मास मीडिया के माध्यम से प्रचारित माध्यमिक स्रोत की जानकारी, मौजूदा सांस्कृतिक आधारित रुझान का टकराव जैसे कि हाल में चीन में किमची की उत्पत्ति इत्यादि, और दक्षिण कोरिया में रह रहे चीनी नागरिकों का कोरियाई रियल एस्टेट निवेश में बढ़ रही भागीदारी को लेकर पनप रही चीन के प्रति अनिच्छा इत्यादि प्रबल हैं और दोनों देशों के संबंधों की नकारात्मकता में योगदान दे रहा है। राजनयिक स्तर पर इसे कम करने की कोशिश की जानी चाहिए ।

पूर्वी एशिया के भू-राजनीतिक परिदृश्य चीन का  वैश्विक शक्ति के रूप में उदय और रूस - उत्तर कोरिया जैसे देशों के साथ चीन की बढ़ती मुखरता-निकटता और साझा रणनीतिक हितों को देखते हुए दक्षिण कोरिया में चिंता ज्यादा हो रही है। लेकिन यह कितनी उचित चिंता है --आने वाले वर्षों में ही सामने आ पायेगा ।


   तस्वीर मेरे द्वारा खींची गई चीन -कोरिया की 30वी वर्षगांठ पर आयोजित एक कार्य्रकम की है। 

संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सियोल के गठबंधन और उत्तर कोरिया में चीन और रूस  का प्रभाव क्षेत्रीय स्थिरता को बाधित करेने और  कोरियाई प्रायद्वीप पर परमाणुकरण पर रोक जैसे मुद्दों को बाधित करने की क्षमता रखता है। ऐसी परिस्थति में बिगड़ते चीन-कोरिया संबंधों को हल करने के लिए एक आपसी समझ पर आधारित व्यावहारिक कूटनीति का दृष्टिकोण और दोनों देशों  खुले चैनल को सक्रिय बना रचनात्मक संवाद करना समय की जबरदस्त मांग हैं । 

आक्रामक बयानबाजी और दंडात्मक रुख के बजाय आम जमीन की तलाश कर सहयोग के रास्ते  ढूंढे जाने चाहिए अन्यथा मुद्रास्फीति और कमोडिटी की कीमतें और बढ़ेंगी। 

सॉफ्ट पावर की पहल, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, और लोगों से लोगों की बातचीत दोनों देशों के बीच समझ और विश्वास को बढ़ावा देगा। तनाव बढ़ने से दोनों देशों को नुकसान होगा इसलिए आर्थिक सहयोग को निष्पक्ष और पारदर्शी प्रथाओं द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए, जिससे दोनों पक्षों के व्यवसायों के लिए एक समान अवसर सुनिश्चित हो सके। व्यापार बाधाओं को कम करने, बाजार पहुंच बढ़ाने और विवाद समाधान के लिए तंत्र बनाने से अधिक लचीला आर्थिक संबंध बनेगा । 

चीन और कोरिया को जलवायु परिवर्तन, सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसी साझा चुनौतियों से निपटने के अवसर का लाभ उठाना चाहिए जिससे  सहयोगात्मक प्रयास का विश्वास पैदा हो सके । एक स्थिर और सहयोगी चीन-कोरिया संबंध न केवल दोनों देशों के लिए फायदेमंद है बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और पूर्वी एशिया में साझा लक्ष्यों की सामूहिक खोज के लिए भी महत्वपूर्ण है।

चीन को चाहिए कि 1980 के दशक में देंग जिआओ पिंग द्वारा इस्तेमाल की गई वाक्यांश -- ताओ गुआंग यांग हुई (韬光养晦) जो चीन के कूटनीति का हिस्सा भी रहा है उसे अमल में लाकर वर्तमान तनाव को कम करें । 

कोरिया को भी संभलकर कूटनीतिक कदम उठाने होंगे । दोनों देशों के लिए चुनौतीपूर्ण समय है।

डॉ संजय कुमार (कोरिया से )

मानवसंपर्क और बातचीत




संस्कृतियों का विकास केवल भौतिक समानों से ही नहीं बल्कि वैचारिक आदान प्रदान , ज्ञान से ही सम्भव हो पाया। ह्यूग डबरली और पॉल पैंगारो के बातचीत वाले सिद्धांतों का सन्दर्भ मेरे जीवन दर्शन को बहुत भाता है क्योंकि दोनों बंधु बातचीत आदान-प्रदान को रेखांकित करते हैं और सीखने की प्रणाली के रूप में संदर्भित करते हैं।

स्कूल- कॉलेज के दिनों से ही घंटों गंभीर डिबेट-डिस्कशन करना , कई बार बहुत सशक्त बलपूर्वक अपनी बातों को रखना आदत रही लेकिन जैसे- जैसे उम्र बढ़ता गया बातचीत के मायने भी बदल से गए।

खासकर पत्रकारिता - शैक्षणिक टीचिंग में आने के बाद न चाहते हुए भी सुनने की आदत भी पड़ती गयी लेकिन बातचीत के दौरान भावपूर्णता में डूब जाना अभी भी कूट कूट कर व्यक्तित्व में भरा हैं जिसका आनंद आजकल बहुत आ रहा !
अब तो बातचीत जीवोकोपर्जन भी बन चूका हैं इसलिए इसके बिना जीवन अधूरा सा लगता हैं।

ह्यूग डबरली और पॉल पैंगारो जी को पीएचडी के दिनों में पढ़ा था काश बचपन के शरारती दिनों में इन्हे समझता -- पत्रकारिता और पैनी होती !

डॉ संजय कुमार 

Indonesia Night in Daegu promotes fashion diplomacy

 https://www.koreaherald.com/view.php?ud=20230616000535&np=1&mp=1 



 https://www.koreaherald.com/view.php?ud=20230616000535&np=1&mp=1 

Indonesia Night in Daegu promoted fashion diplomacy commemorating 50th years of Indonesia-Korea relations.

Showcasing Indonesia’s diversity through creative economy exhibition and cultural performance, Indonesian embassy highlighted the significance of Tenun as an icon of Indonesian culture.

“For centuries, hand-weaving technique making of Tenun from various provinces of Indonesia is passed on from generation to generation,” said Gandi Sulistiyanto Indonesia Ambassador to Korea adding that Tenun currently is transforming into modern attires and worn by younger generation.

Tenun refers to an artful Indonesian weaving technique to make a fabric of colorful threads known as original cultural heritages preserved till present day.

11 outfits made from Tenun as well as Songket, golden thread hand weaving textile, were showcased and worn by prominent Koreans and Indonesians.

According to Indonesian Embassy in Seoul, each textile is carefully selected by Governor of Bank of Indonesia as each represents Tenun and Songket producing area, different from one another, including Tenun from Negara area in Bali, Songket from Bangka and Belitung, Tenun Pinawetengan in North Sulawes.

Introducing the uniqueness of Tenun under the theme of ‘Closer Friendship through the Beauty of Indonesian Wastra, Indonesia’s Central Bank Governor Perry Warjiyo highlighted that Tenun is usually woven by women who play a leading role in ensuring the craft making is passed to future generations to preserve Indonesia’s priceless cultural heritage.

Wastra means traditional fabrics in Bahasa Indonesian.

“Each piece of Tenun and Songket(a type of textile) cloth, due to its long process of making, is a masterpiece that carries significant economic value,” said Warjiyo.
“Bank of Indonesia is promoting small and medium enterprises in of provinces supervised by Indonesia’s Central Bank,” Warjiyo underlined.

Indonesia government enacted laws and mechanism to promote 17 sub-sectors of creative economy including fashion, craft, and culinary among others.

 “Creativity and industry has to complement each other,” said Indonesia’s Vice Minister for Tourism and Creative Economy Angela H. Tanoesoedibjo in her remarks at the event.
 
 “At the end of the performance, the audience were mesmerized when “Arirang”, a well-known Korean folk song, was sung in a different yet melodious tune,” said Joannes Ekaprasetya Tandjung, Minister Counsellor at Indonesia Embassy in Seoul.

The event was attended by Indonesians, Koreans and artisits and influencers such as Muhammad Rifqi Fakhri Zayyan, Lingkar Kreatif,  Helmy Yahya ,  Geba Cephas , Gina Selvina and welcomed by Gyeongsangbuk-do governor, Lee Cheol Woo for bringing the event in line with the vision of Daegu city to dwell on cultural heritage  and promote creative industry.
 

Indian Embassy celebrates International Day of Yoga



 The Indian Embassy in Seoul held an event Monday to promote the International Day of Yoga on June 21, highlighting the exercise's role in uniting the mind, body, thought and action.

The International Day of Yoga was designated by the United Nations General Assembly in 2014, following a proposal by the Prime Minister of India, Narendra Modi.

"Yoga is a way to discover a sense of oneness with yourself, the world, and nature," Indian Ambassador to Korea Amit Kumar said at the event.

He also stressed the importance of living in harmony with nature and recognizing the impact of every action we take.

To commemorate the 9th International Day of Yoga, the embassy is collaborating with Korean yoga groups in cities across Korea, including Seoul, Gurye, Jeju, Busan and Gwangju.

On June 17, participants will gather at Seoul's Olympic Peace Park for yoga and meditation sessions, fostering a sense of unity and well-being, according to Kumar.

The embassy also appointed Korean actress Chung Ae-rie, and TV panelist Kim Tae-hoon as brand ambassadors for the 9th International Day of Yoga.

Kumar also underlined World Environment Day and introduced "Mission LiFE" (Lifestyle for Environment) initiative of the Indian government to promote sustainable living practices, conserving the environment, and encouraging individuals to become "Pro-Planet People."

Moreover, Kumar applauded the declaration of the United Nations of 2023 as the International Year of Millets.

Introducing nutritional value, suitability for arid lands, and climate resilience as advantages of the grain, Kumar said that the declaration will empower smallholder farmers, address the challenges of climate change in agriculture, transform agri-food systems, and contribute to sustainable development.

कोरियाई प्रायद्वीप का बदलता भू-राजनीतिक परिदृश्य

 कोरियाई प्रायद्वीप पर उत्तर और दक्षिण कोरिया के संबंधों की वर्तमान स्थिति एक नए युग की भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का प्रतीक है। यह बदलाव वैश्...