उत्तर कोरिया ने अपनी परमाणु क्षमताओं को बढ़ा विशेष रूप से प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और उसके सहयोगियों पर हमला करने की क्षमता को लक्षित किया है।
"निर्णायक नीति परिवर्तन" का आह्वान कर किम जोंग उन ने दक्षिण में शांति और कब्जे सहित संभावित संकट परिदृश्यों के लिए फिर से तैयार रहने का निर्देश दे दक्षिण कोरिया के साथ नागरिक आदान-प्रदान के लिए जिम्मेदार संगठनों को भंग करने को कहा है।
गौरतलब है कि दोनों देश 1950-53 के कोरियाई युद्ध के युद्धविराम में समाप्त होने के बाद भी तकनीकी रूप से युद्ध में हैं।
हालांकि दोनों देशों के बीच युद्ध के बाद के दशकों में तनाव के दौर, यदा-कदा सैन्य झड़पें और शत्रुता कम करने के कूटनीतिक प्रयास होते रहे हैं । सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अंतर-कोरियाई शिखर सम्मेलन और समझौते बीच-बीच में तीखी बयानबाजी और उकसावे की अवधि भी अनेको रहे हैं । दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए, उत्तर कोरिया की परमाणु हथियारों की खोज लगातार तनाव का स्रोत रहा है।
उत्तर कोरिय ने वर्ष 2006 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था जिसके कारण अंतर्राष्ट्रीय निंदा और प्रतिबंध भी लगे। लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों सहित उत्तर कोरिया के बार-बार मिसाइल परीक्षणों ने क्षेत्रीय और वैश्विक चिंताओं को बढ़ाता रहा है। इन कार्रवाइयों के कारण उत्तर कोरिया की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर अंकुश लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध और राजनयिक प्रयास भी बढ़ते गए ।
हाल की कूटनीतिक भागीदारी, जैसे उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन और दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन के बीच ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन, साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ बैठकों ने संभावित सुलह की झलक पेश की थी । हालाँकि, समय-समय पर तनाव भड़कने के साथ प्रगति भी असमान रही है।
लेकिन आज उत्तर कोरिया द्वारा दक्षिण कोरिया को "प्रमुख दुश्मन" घोषित करना, कोडित संदेशों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रेडियो स्टेशन को बंद करना और परमाणु क्षमताओं को बढ़ाने की प्रतिज्ञा ने क्षेत्र की स्थिरता के बारे में चिंताओं को फिर से जन्म दिया है। उत्तर कोरिया-दक्षिण कोरिया तनाव का इतिहास ऐतिहासिक, राजनीतिक और वैचारिक कारकों की एक जटिल परस्पर क्रिया की विशेषता है। स्थिति गतिशील बनी हुई है I
डॉ संजय कुमार (दक्षिण कोरिया से )
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