भिखारी ठाकुर जी के साहित्य को सर्वप्रथम उनके प्रसिद्ध नाटक विदेसिया के माध्यम से जाना I पटना रंगमंच में रंगकर्म और लोक गायन के दौरान सूत्रधार की भूमिका ने, उनके भोजपुरी गीतों ने मार्मिक और वेदना के साथ साथ लोकरंग के अनेक विधाओं से मुझे अवगत कराया I भोजपुरी लोक गीतों से मेरा प्रेम बढ़ता ही गया I मेरी मातृभाषा हिंदी और मगधी रही है परन्तु भोजपुरी भाषा के ज्ञान का श्रेय भिखारी ठाकुर जी की रचनाओं और गीतों को जाता है I
भिखारी ठाकुर जी के कारण भोजपुरी भाषा और संस्कृति बिहार झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बंगाल के कुछ हिस्सों में व्यापक रूप से प्रबल बनती गई और उनकी रचनाओं ने भाषाई क्षेत्र ही नहीं अपितु बिहारी श्रमिकों को भी जागृत किया जो सामंती मूल्यों को न समझ पाते थे I भिखारी ठाकुर जी ने समानता और समतावादी समाज की परिकल्पना के साथ देश ही नहीं बल्कि दक्षिण अफ्रीका, फिजी, त्रिनिडाड , मॉरीशस, सिंगापुर, केन्या, नेपाल, युगांडा, ब्रिटिश गुयाना, सूरीनाम, म्यांमार, मैडागास्कर, दक्षिण अफ्रीका, फिजी, त्रिनिडाड जैसे स्थानों पर भी भोजपुरी संस्कृति का विस्तार किया ।
भोजपुरी साहित्य के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर जी के जन्मदिवस पर उन्हें शत-शत नमन ~